दिल तोड़ा तो क्यूँ तोड़ा? इतना तो बता देती कोई बहाना कर लेती, कोई तो वजह देती
Hmm, दिल तोड़ा तो क्यूँ तोड़ा? इतना तो बता देती कोई बहाना कर लेती, कोई तो वजह देती जब याद तुम्हें मैं आऊँगा रातों में बहुत घबराओगी क्या चीज़ गँवा दी है तुम ने ये सोच के सो ना पाओगी क्या चीज़ गँवा दी है तुम ने ये सोच के सो ना पाओगी जो चाँद तुम्हारा मेरा था वो चाँद कहाँ से लाओगी? क्या चीज़ गँवा दी है तुम ने ये सोच के सो ना पाओगी क्या-क्या बातें करती थी बाँहों में खो के "तुम जो बिछड़े, मर जाऊँगी मैं रो-रो के" औरों से तुम दोहराती हो जब ये बातें याद आती हैं क्या मेरे संग गुज़री रातें? देखने वाले तुम्हें तो होंगे लाखों में मेरे जैसा प्यार होगा किस की आँखों में चाहे जितनी कोशिश कर लो किसी और की हो ना पाओगी क्या चीज़ गँवा दी है तुम ने ये सोच के सो ना पाओगी क्या चीज़ गँवा दी है तुम ने ये सोच के सो ना पाओगी जो चाँद तुम्हारा मेरा था वो चाँद कहाँ से लाओगी? क्या चीज़ गँवा दी है तुम ने ये सोच के सो ना पाओगी आसमाँ तेरा रोशनी को तरस जाएगा चाँद ये लौट कर अब ना आएगा जो चाँद तुम्हारा मेरा था वो चाँद कहाँ से लाओगी? क्या चीज़ गँवा दी है तुम ने ये सोच के सो ना पाओगी बारिशों में छुप के जितना रोया हूँ मैं तुम को भी उतना कभी रोना पड़ेगा सिर्फ़ मेरा टूटना काफ़ी नहीं है तुम को भी तो मुंतशिर होना पड़ेगा
Writer(s): Manoj Muntashir Shukla, Vishal Mishra